असम के सबसे बड़े साहित्यिक संगठन ‘असम साहित्य सभा’ ने कहा है कि राज्य में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए असमिया या किसी स्थानीय भाषा की जानकारी होनी जरूरी है। सभा के अध्यक्ष परमानंद राजबंशी ने चेतावनी दी कि यदि किसी को स्थानीय भाषा नहीं आती तो उसे निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में काम नहीं करने दिया जाएगा।
असम साहित्य सभा के अध्यक्ष परमानंद राजबंशी की चेतावनी
राजबंशी ने मोरीगांव में रविवार को कहा कि राज्य में निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के चतुर्थ श्रेणी से लेकर शीर्ष स्तर तक के काम करने वालों के लिए असमिया या कोई अन्य स्थानीय भाषा जानना जरूरी है। असम के स्थानीय लोग संकट के दौर से गुजर रहे हैं। उनकी पहचान और भाषा खतरे में है। असम साहित्य सभा स्थानीय भाषाओं को मरने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए आखिरी चेतावनी है। उन्होंने राज्य सरकार से भी इस फरमान को लागू करने के लिए कहा।
गौरतलब है कि लगभग सौ साल पुरानी संस्था राज्य में असमिया भाषा का मसला उठाती रही है। उसने तमाम सरकारी एवं निजी संस्थानों, व्यापारिक और वित्तीय प्रतिष्ठानों से अपने होर्डिंग्स और नामपट्टिकाओं में असमिया भाषा का इस्तेमाल करने के लिए कहा है।
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Courtesy to : Amar Ujala
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